पाकिस्तान के डेब्ट और इन्फ्लेशन की कहानी को समझने से पहले, डेब्ट कि नेचर को समझने की जरुरत है कोई भी कंट्री डेब्ट को लोकल करेन्सी में कैलकुलेट करती है (पाकिस्तान के केस में रुपया) । पाकिस्तान अपनी करेंसी को डॉलर के मुकाबले मज़बूत रखता है जिससे उसका रियल डेब्ट सामने नहीं आता है .
रुपया मज़बूत रखने से पाकिस्तान अपनी जीडीपी को ज्यादा दिखता है और डेब्ट जीडीपी/ Ratio को कम दिखाता है । यह काम करने के लिए किसी भी सेंट्रल बैंक को डॉलर्स की ज़रुरत होती है ताकि डॉलर्स को मार्किट में use कर डिमांड सप्लाई को पूरा किया जा सके और रूपये को मज़बूत रख सके , वास्तव में पाक करेंसी की वैल्यू तब ही determine हो सकती है जब फ्री इम्पोर्ट एक्सपोर्ट हो, जो पाक होने नहीं देता,ab क्युकी पाकिस्तान imf programe में है तो पाकिस्तान को पिछले कुछ सालो में अपनी करेंसी
devalue करनी पड़ी है जिससे इम्पोर्ट महंगे हुए है ।
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